लक्ष्मी Lakshmi मंत्र
मंत्र का अर्थ होता है एक ऐसी ध्वनी जिससे मन का तारण हो अर्थात मानसिक कल्याण हो जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है
‘मन: तारयति इति मंत्र:’
अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में शब्दों के संयोजन से इस प्रकार की कल्याणकारी ध्वनियां उत्पन्न की गई। इसी प्रकार बीज मंत्र, मंत्रों का ही वह लघु रुप हैं, जो मंत्र के साथ लगाने से उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। कुल मिलाकर बीज मंत्र को मंत्र का प्राण कहा जा सकता है।
यदि इन बीज मंत्रों का अर्थ खोजें तो यह सीधे-सीधे समझ नहीं आता, लेकिन इनके उच्चारण से आंतरिक शक्तियां विकसित होती हैं। इन मंत्रों के प्रभाव से आपके आस-पास एक सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है।
इस मंत्र को कब सिद्ध करे ?
इस मंत्र को सिद्ध करना जरुरी है सम्पूर्ण फल प्राप्ति के लिये |
तो इस मंत्र को सिद्ध करने के उत्तम दिवस है
(मुहूर्त) अक्षय तृतीया-रविमुष्यामृत-गुरुपुष्यामृत योग-सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण या दिवाली अथवा शुक्रवार किसी शुभ मुहूर्त में इस मंत्र को सिद्ध करे|
मंत्र को जपने के लिए कौन सी माला का प्रयोग करे ?
इस महालक्ष्मी मंत्र जाप के लिये मंत्र सिद्ध कमलगट्टे की माला संस्कारित माला तथा लक्ष्मी जी का गुरू जी द्वारा मंत्र सिद्ध श्री यंत्र ही का प्रयोग करे |
महालक्ष्मी मंत्र |
मंत्र को कब सिद्ध करे ?
इस मंत्र को सिद्ध करना जरुरी है सम्पूर्ण फल प्राप्ति के लिये |
तो इस मंत्र को सिद्ध करने के उत्तम दिवस है (मुहूर्त) अक्षय तृतीया-रविमुष्यामृत-गुरुपुष्यामृत योग-सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण में इस मंत्र को सिद्ध करे |ने दाए हाथ में जलग्रहण करे |
यह विधान कैसे करे ?
सर्व प्रथम एक चौकी ले उस चौकी के ऊपर एक लाल या पीला कपडा बिछा दे या आप चाहो तो अपने घर के मंदिर के आगे बैठकर भी यह साधना कर सकते है|
( चौकी के ऊपर महालक्ष्मी की प्रतिष्ठित मूर्ति या श्री यंत्र रखे )
किन्तु जब आप दिया प्रज्वलित करे तो यह बात याद रखे | गाय के घी का दीपक भगवान् या श्रीयंत्र की दायी और ही करे |
विनियोग करें
विनियोग : ॐ अस्य मंत्रस्य ब्रह्मऋषिः, गायत्री छन्दः,श्री महालक्ष्मीर्देवता, श्रीं बीजं, नमः शक्तिः, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग : |
यह विनियोग पढ़ने के बाद न्यास करे |
न्यास
ब्रह्मऋषये नमः शिरसि | अपने दाए हाथ से अपने सिर के ऊपर सपर्श करे |
गायत्री छन्दसे नमः मुखे | मुख को स्पर्श करे |
श्री महालक्ष्मी देवतायै नमः हृदि | ह्रदय को स्पर्श करे |
श्रीं बीजाय नमः गुह्ये | अपने गुप्त अंग को स्पर्श करे |
नमः शक्तये नमः पादयोः | अपने दोनों पैरो को स्पर्श करे |
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे | ऐसा बोलकर दोनों हाथो को अपने सिर के ऊपर से लेकर अपने पैरो तक घुमाये |इसके पश्चात कर और हृदयादि न्यास करे
करन्यास
कमले अंगुष्ठाभ्यां नमः | कमलालये तर्जनीभ्यां नमः | प्रसीद मध्यमाभ्यां नमः |
प्रसीद अनामिकाभ्यां नमः | महालक्ष्म्यै कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
हृदयादि न्यास
कमले हृदयाय नमः | कमलालये शिरसे स्वाहा | प्रसीद शिखायै वौषट | प्रसीद कवचाय हुम् | महालक्ष्म्यै नमः अस्त्राय फट |
न्यास आदि करने के बाद महालक्ष्मी माँ का ध्यान करे|
ध्यान
ॐ या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
उसके बाद इन सत्ताईस अक्षर वाला महालक्ष्मी का मूलमंत्र का जाप करे |
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः”
महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
किसी भी मंत्र का उद्देश्य संबंधित देवी-देवता को प्रसन्न करना होता है ताकि उक्त देवी-देवता की कृपा बनी रहे। इस महामंत्र का जाप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। विशेषकर ऋणमुक्ति के लिए यह मंत्र काफी प्रभावी माना जाता है। मान्यता है कि कमलगट्टे की माला से प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने ऋणों का बोझ उतर जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
सम्पूर्ण साधना का संक्षिप्त विस्तृति करण
मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः |
१२० माल का अनुष्ठान | (प्रथम)
१२ माला का दशांश |
२ माला तर्पण |
२ मार्जन |
ब्रह्म भोजन |
2. लक्ष्मी बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
इस मंत्र में ॐ परमपिता परमात्मा अर्थात परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है। ह्रीं मायाबीज है इसमें ह् शिव, र प्रकृति, नाद विश्वमाता एवं बिंदु दुखहरण है इसका तात्पर्य हुआ हे शिवयुक्त जननी आद्य शक्ति मेरे दुखों को दूर करें। श्रीं लक्ष्मी बीज है जिसमें श् महालक्ष्मी के लिए प्रयुक्त हुआ है, र धन संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, ई महामाया, तो नाद जगतमाता की पुकार करता है, बिंदु दुखों का हरण करने वाला माना जाता है। कुल मिलकार श्रीं का तात्पर्य है, हे ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी मेरे दुखों का हरण करें व मेरे जीवन में समृद्धि की कोई कमी न हो। लक्ष्मीभयो नम: मां लक्ष्मी को पुकारते हुए उन्हें नमन करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।
पूरे बीज मंत्र का अर्थ है, हे परमपिता परमात्मा, हे महामाया, हे मां लक्ष्मी मेरे दुखों को दूर करें मेरे जीवन को उन्नत व समृद्ध करें।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
घर परिवार में सुख व समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी का यह लक्ष्मी गायत्री मन्त्र भी काफी प्रसिद्ध है।
ॐ का अर्थ ईश्वर अथवा परमपिता परमात्मा रुप मां महालक्ष्मी जो भगवान श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु की पत्नी हैं हम उनका ध्यान धरते हैं वे मां लक्ष्मी हमें सद् मार्ग पर हिन्दू धर्म के प्रसार में चलने की प्रेरणा दें। अर्थात हम मां महालक्ष्मी का स्मरण करते हैं एवं उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हम पर अपनी कृपा बनाएं रखें। इस लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप करने से रुतबा, पद, पैसा, यश व भौतिक सुख-सुविधाओं में शीघ्र ही बढ़ोतरी होने लगती है।
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