अष्ट लक्ष्मी मंत्र साधना

अष्ट लक्ष्मी मंत्र Lakshmi Mantra साधना

ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ है तथा इसे नास्तिक धर्म भ्रष्ट लोगों से गुप्त ही रखना चाहिए, तथा जो शिव धर्म हिन्दू के प्रचार प्रसार करने में ही इस्तेमाल करना चाहिए ।

ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है कि समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा।´

ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है के महालक्ष्मी के आठ स्वरुप है। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है।अष्ट लक्ष्मी साधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्र्व्ह्यु से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।

अष्ट लक्ष्मी साधना विधि:

शुक्रवार की रात तकरीबन 09:00 बजे से 10:30 बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर मंत्र सिद्ध श्री अष्ट लक्ष्मी यंत्र अथवा श्री यंत्र या अष्ट लक्ष्मी का मंत्र सिद्ध मूर्ति स्थापित करें। किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। लाल फूलो की माला चढ़ाएं। मावे की बर्फी का भोग लगाएं। अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और मंत्र सिद्ध कमलगट्टे की माला हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।

1. श्री आदि लक्ष्मी – ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है –

ॐ श्रीं।।

2. श्री धान्य लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है –

ॐ श्रीं क्लीं।।

3. श्री धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है –

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

4. श्री गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है –

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

5. श्री संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका

मूल मंत्र है –

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।

6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल

मंत्र है –

ॐ क्लीं ॐ।।

7. श्री विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका

मूल मंत्र है –

ॐ ऐं ॐ।।

8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका

मूल मंत्र है –

ॐ श्रीं श्रीं।।

Notice – लक्ष्मी जी उन्ही साधकों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं जो धन द्वारा निस्वार्थ भाव से जन कल्याण तथा शिव हिन्दू धर्म प्रचार प्रसार में सेवा कर रहे होते हैं.

Lakshmi Mantra

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  1. Notice – लक्ष्मी जी उन्ही साधकों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं जो धन द्वारा निस्वार्थ भाव से जन कल्याण तथा शिव धर्म प्रचार प्रसार में सेवा कर रहे होते हैं.

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